उलझी गांठों को खोलूँ मैं , टूटी कड़ियों को जोडूं ! उलझी गांठों को खोलूँ मैं , टूटी कड़ियों को जोडूं !
ये शक्ति है मुझमें किंतु सृष्टि चलती रहे और सभ्यताएँ फैलती रहें इसलिए मैं स्वयं ही डूबती हूँ और ... ये शक्ति है मुझमें किंतु सृष्टि चलती रहे और सभ्यताएँ फैलती रहें इसलिए मैं स्व...
एक कविता...! एक कविता...!
अनुभव का सम्मान रहेगा, सब निर्णय के हर क्षण क्षण पर.. अनुभव का सम्मान रहेगा, सब निर्णय के हर क्षण क्षण पर..
है आज जरूरी लड़ ले हम अपनी लड़ाईअपने वास्ते। जो फैली है भ्रष्टाचार की बीमारी हमारी व है आज जरूरी लड़ ले हम अपनी लड़ाईअपने वास्ते। जो फैली है भ्रष्टाचार की ब...
हसीन सुनहला एक तारा टूूूटा दूर गगन में देेेखो। हसीन सुनहला एक तारा टूूूटा दूर गगन में देेेखो।